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Kerala High Court: ‘यह प्रकृति का मानवों को चेतावनी है’ – वायनाड भूस्खलन मानव लापरवाही और लालच का उदाहरण

Kerala High Court: केरल उच्च न्यायालय ने आज कहा कि वायनाड में हाल ही में हुआ भूस्खलन प्रकृति की मानवों की “लापरवाही और लालच” के प्रति प्रतिक्रिया का एक उदाहरण है। अदालत ने आगे कहा कि ये ‘चेतावनी के संकेत’ पहले ही दिख रहे थे, लेकिन “हमने विकास की दौड़ में इन्हें नजरअंदाज कर दिया।”

महामारी और भूस्खलन ने गलती का अहसास कराया

अदालत ने कहा कि 2018 और 2019 में प्राकृतिक आपदाओं, लगभग दो वर्षों तक चली महामारी और हाल के भूस्खलनों ने हमें हमारी गलतियों के प्रति जागरूक किया है।

सही कदम उठाना होगा वरना देर हो जाएगी

न्यायाधीश ए.के. जयशंकरन नांबियार और श्याम कुमार वी.एम. की बेंच ने 30 जुलाई को भूस्खलन के बाद अदालत द्वारा खुद ही दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर हम अभी अपने तरीकों को ठीक नहीं करते और सकारात्मक सुधारात्मक कदम नहीं उठाते, तो शायद बहुत देर हो जाएगी।

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सरकारी नीतियों की समीक्षा

अदालत ने कहा कि इस भूस्खलन में वायनाड के तीन गांव पूरी तरह से तबाह हो गए और 119 लोग अभी भी लापता हैं। अदालत ने 23 अगस्त को अपने आदेश में कहा, “राज्य सरकार को केरल राज्य में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार कदम उठाने होंगे।” अदालत ने “राज्य को विकास की वर्तमान धारणाओं पर आत्मनिरीक्षण करने और इस संबंध में अपनी नीति पर पुनर्विचार करने” के लिए स्वयं द्वारा PIL की शुरुआत की।

प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और पर्यावरण संरक्षण

बेंच ने कहा कि अदालत राज्य की मौजूदा नीतियों की समीक्षा करेगी, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, पर्यावरण, वन और वन्यजीवों का संरक्षण, प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम, प्रबंधन और शमन, और सतत विकास लक्ष्यों को शामिल किया जाएगा।

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